नहीं पूछते हम क्यों ऐसा किया चलो जो किया तुम ने अच्छा किया क़यामत तलक अब छुपे ही रहो ये सब था तो काहे को पर्दा किया उसी ने अंधेरे में रक्खा मुझे उसी ने फिर आ कर उजाला किया वही मुझ से कहता है नालिश करो वही जिस ने इस दिल पे क़ब्ज़ा किया उसी ने मिलाया मुझे ख़ाक में वही हाथ मल मल के रोया किया कोई बात झगड़े की थी ही नहीं मैं कल बे-सबब उस से उलझा किया शगूफ़े हैं सब उस के छोड़े हुए उसी ने ये सारा तमाशा किया रही देर तक ख़ुद से गुफ़्त-ओ-शुनूद फिर आज उस की यादों ने तन्हा किया