नज़र-नवाज़ नज़र का ये ज़ाविया क्यों है नुमूद-ए-अक्स पे हैरान आईना क्यों है ज़बाँ पे हर्फ़-ए-अनल-हक़ लरज़ रहा है क्यों जुनून-ए-इश्क़ तज़ब्ज़ुब का मरहला क्यों है वही है मंज़िल-ए-आख़िर जहाँ सफ़र आग़ाज़ बँधा हुआ मिरे क़दमों से दायरा क्यों है हयात-ओ-मौत का मक़्सद अगर नहीं मालूम शिकस्त-ओ-रेख़्त का बे-कार सिलसिला क्यों है ये किस ने ज़हर मिलाया है जाम-ए-हस्ती में अब ऐसा तल्ख़ तनफ़्फ़ुस का ज़ाइक़ा क्यों है निज़ाम आप का तंज़ीम आप की जानाँ तो अब तमाशा-ए-तफ़तीश-ए-हादिसा क्यों है यहाँ तो जीने को दरकार हौसला है बहुत दिल-ए-तबाह में बाक़ी ये हौसला क्यों है क़दम क़दम न हों सय्याद की बिछी आँखें सजा सजा मिरी मंज़िल का रास्ता क्यों है फ़ज़ा-ए-शेर-ओ-सुख़न बे-अमाँ हुई 'पिंहाँ' दयार-ए-ज़ाग़-ओ-ज़ग़न में ये फ़ाख़्ता क्यों है