नाला नहीं कि आह नहीं या बुका नहीं हम ने शब-ए-फ़िराक़ में क्या क्या किया नहीं वो दर्द-ए-ला-दवा मुझे बख़्शा है इश्क़ ने बचने की कुछ उमीद नहीं आसरा नहीं क्या कर रहे हो चारागरो पास से हटो अब है दुआ का वक़्त ये वक़्त-ए-दवा नहीं आ जाएँ वक़्त-ए-नज़अ' तो मैं उन को देख लूँ अरमान कोई दिल में अब इस के सिवा नहीं 'सय्याफ़' क्या बताएँ कि दिल का है हाल क्या मुद्दत से अब तो पहलू में उस का पता नहीं