नसीब में है जुदाई तो रोना-धोना क्या है सारी चीज़ पराई तो रोना-धोना क्या यहाँ तो अपने ही अपनों को मार देते हैं हवा ने शम्अ बुझाई तो रोना-धोना क्या उसी ने हाथ बढ़ाया था दोस्ती के लिए उसी ने बात बढ़ाई तो रोना-धोना क्या मिरे अज़ीज़ ही जब मेरे मुन्हरिफ़ निकले हुई ख़िलाफ़ ख़ुदाई तो रोना-धोना क्या हज़ार साल के जब बूढ़े मर गए 'शौकी' कमाई चीज़ गँवाई तो रोना-धोना क्या