सर्द मौसम है बहुत हिज्र का आज़ार भी है क्या कहें तुझ से ये दिल ग़म में गिरफ़्तार भी है कैसे कह दूँ की तिरे बा'द मुझे चैन पड़ा सुब्ह ग़मगीन मिरी रात दिल-आज़ार भी है ज़िंदगी कहती है ठहरो न बढ़ो और बढ़ो मंज़िलें दूर हैं और रास्ता दुश्वार भी है नई ता'मीर का सौदा है सर-ओ-दिल में मगर सामने सहन की गिरती हुई दीवार भी है मेरा मद्दाह मिरे फ़न से नहीं शहर का शहर ख़ुद की पहचान में किरदार का किरदार भी है हर किसी से नहीं मिलता हूँ मैं झुक कर 'शौकी' दरमियाँ अपने कोई चीज़ ये मेआ'र भी है