ना-तवानी में भी वो किरदार होना चाहिए अपने ही काँधे पे अपना बार होना चाहिए ये ख़याल आने लगा है किस तवक़्क़ो' पर तुम्हें राह में हर पेड़ साया-दार होना चाहिए शहर भर में सख़्त जानी के लिए मशहूर हूँ मेरी ख़ातिर इक न इक आज़ार होना चाहिए मेरा दुश्मन दूर तक कोई नहीं मेरे सिवा और दुश्मन से मुझे होशियार होना चाहिए ये सुबुक-सरान-ए-साहिल किस क़दर हैं मुतमइन इन के आगे भी कोई मझंदार होना चाहिए फूल की पत्ती से भी नाज़ुक है कुछ दिल का मिज़ाज लोग कहते हैं मुझे तलवार होना चाहिए मौत के आसेब से 'रौनक़' अबस डरते हैं लोग ज़िंदगी भर ज़िंदगी से प्यार होना चाहिए