नाव डूबी तिरी हमारे लिए दुख से उभरी ख़ुशी हमारे लिए जोश में होश खो गया तो क्या आग थे फूल भी हमारे लिए शब की आँखों में इल्तिफ़ात नहीं दिन में है बे-रुख़ी हमारे लिए चाँदनी से नहीं हैं हम वाक़िफ़ धूप है अजनबी हमारे लिए शायद इस ख़्वाब से परे होगी एक दुनिया नई हमारे लिए दिन का हंगामा उन के नाम सही रात की ख़ामुशी हमारे लिए आँख में कितने दिन सँभालोगे ख़्वाब-ए-आवारगी हमारे लिए जाने कब आसमाँ से उतरेगा मौसम-ए-दिलबरी हमारे लिए इस तरह जी रहे हैं जैसे कहीं मुंतज़िर है कोई हमारे लिए