पहाड़ी रास्ते पर आबजू की आज़माइश है समुंदर किस तरफ़ है जुस्तुजू की आज़माइश है परे दीवार-ए-जाँ के एक धोके के सिवा किया है मिरे अंदर मुसलसल आरज़ू की आज़माइश है कई लहरें सी उठती हैं जो लफ़्ज़ों में नहीं ढलतीं इन आँखों के मुक़ाबिल गुफ़्तुगू की आज़माइश है मैं अपने दिल की ख़ामोशी तुझे ईमेल करता हूँ सुना है मय-कदे में हा-ओ-हू की आज़माइश है तअ'य्युन सम्त का होता नहीं आँखें भटकती हैं क़दम कैसे उठें जब चार-सू की आज़माइश है