नावक कहें सिनाँ कहें तलवार क्या कहें तू ही बता तुझे निगह-ए-यार क्या कहें शिकवा न दाम का है न सय्याद का गिला हम आप हो गए हैं गिरफ़्तार क्या कहें इज़हार-ए-हाल-ए-ज़ार का ऐसों से फ़ाएदा आज़ार दिल का तुझ से दिल-आज़ार क्या कहें करते हैं वाइज़ आप मज़म्मत शराब की कहते हैं क्या जनाब को मय-ख़्वार क्या कहें ऐसों से तर्क-ए-मय का 'मुबारक' सवाल क्या तौबा की तुझ से रिंद-ए-क़दह-ख़्वार क्या कहें