नज़र के सामने हुस्न-ए-बहार रहने दे जमाल-ए-दीद को परवर-दिगार रहने दे सवाल-ए-शौक़ का कोई जवाब हो कि न हो हमारे दिल में उमीदें हज़ार रहने दे न देख हद्द-ए-नज़र दूर तक समुंदर है रिफाक़तें अभी साहिल के पार रहने दे करम-शिआ'र न थे मो'तबर नहीं ठहरे सो आज हम को ज़रा दिल-फ़िगार रहने दे ये चाँद रोज़ नए ख़्वाब क्यों दिखाने लगा बस एक ख़्वाब निगाहों पे बार रहने दे जो सोज़िश-ए-लब-ए-जाँ मुस्तक़िल नवा-गर हो तो फिर कहाँ कोई ग़म मुस्तआ'र रहने दे 'नसीम' अब तो ये माहौल रास आया है ख़ुदा करे तू इसे साज़गार रहने दे