परख सको तो मोहब्बत का इक मिज़ाज हैं हम कल इस तरह नहीं मिल पाएँगे जो आज हैं हम कोई ख़ता-ए-मोहब्बत अज़ल में कर ली थी ज़बान-ए-शेर में भेजा हुआ ख़िराज हैं हम इस इक हुनर से ख़ुदा सब को फ़ैज़याब करे कि अब भी जिस के लिए वक़्फ़-ए-एहतियाज हैं हम सुना है घाव मिले हैं तुझे बहुत गहरे तो हम से मिल कि तिरे घाव का इलाज हैं हम किसी की याद में उम्र अपनी हो रही है बसर किसी के अहद-ए-वफ़ा की 'नसीम' लाज हैं हम