नज़र नज़र से मिली दिल पुकार उठा कि नहीं नहीं ख़बर मुझे उस वक़्त होश था कि नहीं फिर आरज़ूओं की बस्ती में क़ाफ़िले आए दर-ए-फ़ुसून-ए-तमन्ना अभी खुला कि नहीं नए सफ़र हैं नए राह-रौ नई राहें नए ज़मीन-ओ-ज़माँ की है इब्तिदा कि नहीं तिरी तलाश में हम ख़ुद से आश्ना न रहे अभी हुई है मोहब्बत की इंतिहा कि नहीं तिरे विसाल के रस्तों में हम ख़िरद से मिले जुनूँ ने दिल से कहा है वही फ़ज़ा कि नहीं