निकल कर ज़ब्त की हद से फ़ुग़ाँ तक बात जा पहुँची ख़बर भी है दिल-ए-नादाँ कहाँ तक बात जा पहुँची सितम है दिल-लगी है इम्तिहाँ तक बात जा पहुँची कहाँ से बात निकली थी कहाँ तक बात जा पहुँची निकल आए सितारे मेरी उलझन के तमाशे को ज़मीं वालों की क्यूँकर आसमाँ तक बात जा पहुँची ज़माने भर में जो चर्चा है मेरे ख़ून-ए-नाहक़ का वहाँ तक हश्र बरपा है जहाँ तक बात जा पहुँची उन्हें ऐ ‘शाद’ रुस्वाई का अपनी क्या ख़याल आया निकल कर गूँगे दिल से जब ज़बाँ तक बात जा पहुँची