नींद उड़ने का सबब और चैन खोने का जवाज़ पूछते हैं लोग मुझ से 'इश्क़ होने का जवाज़ लड़ रहा हूँ मैं अकेला कार-ज़ार-ए-हस्ती में कर फ़राहम तू भी ज़ालिम अपने होने का जवाज़ ढूँडते हैं लोग कैसे हर्फ़-ए-तुंद-ओ-तेज़ से दूसरों की रूह में काँटे चुभोने का जवाज़ ये ज़रूरी तो नहीं हम भी फ़राहम कर सकें बैठे बैठे अपने दामन को भिगोने का जवाज़ साहिलों पर आफ़ियत मा'दूम हो जाने के बा'द और क्या होगा भला कश्ती डुबोने का जवाज़ ज़ब्त के बंधन को जिस ने तोड़ डाला है 'मुनीर' पूछता है दूसरों से मेरे रोने का जवाज़