पड़ जाते हैं कितने छाले हाथों में आते हैं फिर चंद निवाले हाथों में ये तो आने वाला वक़्त बताएगा क्या लिक्खा है मेहंदी वाले हाथों में कुछ तो अपनी ख़ातिर करना पड़ता है पत्थर हों जब देखे-भाले हाथों में हम भी अपनी कोशिश का आग़ाज़ करें हाथ कोई तो आ कर डाले हाथों में और नहीं तो बस इक रौशन सी उम्मीद ऐसा कुछ अस्बाब उठा ले हाथों में