नींदें मेरी उड़ा देते हैं कच्चे ख़्वाब जगा देते हैं फ़रेब की नगरी है ये दुनिया कम ही लोग वफ़ा देते हैं अल्लह मुआ'फ़ी दे देता है लोग यहाँ पे सज़ा देते हैं नेकी करते दिखलावे को जो करते हैं जता देते हैं हक़ के वारिस चुप रहते हैं ला-वारिस ही सुना देते हैं