सुनते हैं कि 'ग़ालिब' के तरफ़-दार बहुत हैं दुनिया में क़लम कम हैं क़लमकार बहुत हैं फिर सुब्ह नई आएगी आसार बहुत हैं दुनिया में अभी साहिब-ए-किरदार बहुत हैं शोहरत के सफ़र में हो तो ये ध्यान में रखना चढ़ते हुए सूरज के परस्तार बहुत हैं दिल और जिगर जिस का सियाही पे है माइल उस शख़्स के जूते भी चमकदार बहुत हैं मेआ'र ही फ़नकार का बनता है हवाला वर्ना मिरे दीवान में अशआ'र बहुत हैं इख़्लास से आरी हों तो किस काम के अहबाब मुख़्लिस हों अगर दोस्त तो दो-चार बहुत हैं