नूर की बारिश हो यूँ दिल की गली में एक बार काश टकराएँ वो मुझ से तीरगी में एक बार हज भी कर तो जज़्बा-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा के साथ कर इश्क़ भी हज की तरह कर ज़िंदगी में एक बार फिर हुआ यूँ उस का ग़म मेरे गले ही पड़ गया लग गया था वो गले यूँ ही ख़ुशी में एक बार ज़िंदगी-भर के ग़मों में इक ही ग़म होगा अज़ीम पैदा होता है मुजद्दिद इक सदी में एक बार दे चुका तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ के इशारे वो मुझे गुफ़्तुगू में बारहा और ख़ामोशी में एक बार हम भी हैं इस्टेज पर मौजूद लेकिन ऐ 'नबील' हम को लाया जाएगा बस रौशनी में एक बार