पढ़ा है मैं ने ख़त में आज आया है नया मौसम नए जज़्बात लाया है तुम्हारी ख़ुद-परस्ती ना-शनासी ने हमें ये रास्ता मुश्किल दिखाया है ज़माने के सितम दर्द-ओ-अलम सारे सभी कुछ ज़िंदगी से हम ने पाया है दिखाया ज़िंदगी ने जब भी है दिल को तिरी यादों को सीने से लगाया है बनाया है ख़ुदा ने इस मोहब्बत को उसे इंसाँ ने जाँ दे कर निभाया है दिल-ओ-जाँ से तुम्हें ऐ दिल-रुबा हम ने 'अनीस'-ए-जाँ बना दिल में बसाया है