पा-ए-ग़ैर और मेरा सर देखो टूट जाए न संग-ए-दर देखो एक आलम पड़ा है चक्कर में गर्दिश-ए-चश्म-ए-फ़ित्ना-गर देखो मैं नज़र-बंद ग़ैर मद्द-ए-नज़र अपना दिल और मिरा जिगर देखो चश्म पुर-नम है तन ग़ुबार-आलूद आन कर सैर-ए-बहर-ओ-बर देखो फ़िक्र-ए-इफ़शा-ए-राज़ क्यूँ न करूँ क्या हया-ख़ेज़ है नज़र देखो है दिगर-गूँ मरीज़-ए-ग़म का हाल हो सके तो दवा भी कर देखो ग़ैर झलते हैं अब उन्हें पंखा असर-ए-आह-ए-पुर-शरर देखो कम-नुमाई-ओ-ख़ेशतन-बीनी कितने बे-दीद हो इधर देखो