राह-ओ-रस्म-ए-ख़त-किताबत ही सही गुल नहीं तो गुल की निकहत ही सही दिल-लगी का कोई सामाँ चाहिए क़हत-ए-मअनी हो तो सूरत ही सही बे-दिमाग़ी बंदा-परवर इस क़दर आप की सब पर हुकूमत ही सही दोस्ती का मैं ने कब दावा किया दूर की साहब सलामत ही सही बस-कि ज़िक्र-उल-एेश निस्फ़-उल-एेश है याद-ए-अय्याम-ए-फ़राग़त ही सही वक़्त मिलने का मुअय्यन कीजिए ख़्वाह फ़र्दा-ए-क़यामत ही सही हुस्न-ए-सूरत का न खा असलन फ़रेब क्लिक-ए-सनअत-गर की सनअत ही सही कुछ न करना भी मगर इक काम है गर नहीं सोहबत तो उज़्लत ही सही