पहले अतलस में जो मल्बूस किए जाते हैं फिर वो ऐवानों में महबूस किए जाते हैं मैं उन्हें हीता-ए-तहरीर में लाऊँ कैसे दर्द लिक्खे नहीं महसूस किए जाते हैं बाल-ओ-पर काट के दें इज़्न-ए-रिहाई क्यूँ-कर उन परिंदों को जो मानूस किए जाते हैं इतनी आसान नहीं होती है ये राह-ए-सुख़न पार इस में कई क़ामूस किए जाते हैं इन पे तो आप ही झुक जाती है रब की रहमत जो भी इस दुनिया से मायूस किए जाते हैं क्यों न हों ज़ेर-ओ-ज़बर तख़्त-ए-'मसर्रत' उन के रक़्स जब साया-ए-ताऊस किए जाते हैं