पहले बे-यार-ओ-मददगार किया जाता है फिर हमें बरसर-ए-पैकार किया जाता है जाने क्या बूढ़े दरख़्तों पे गुज़रती होगी जब परिंदों को गिरफ़्तार किया जाता है जब भी आता है उन्हें अपनी ख़ुदाई का ख़याल हम ग़रीबों को गुनाहगार किया जाता है लोग ख़्वाबों के एवज़ नींद चुरा लेते हैं सोने वालों को ख़बर-दार किया जाता है जब भी हम लोग फ़िरासत की सई करते हैं फिर से एक आध चमत्कार किया जाता है