पहले ख़ुद को जलाएगा सूरज फिर कहीं जगमगाएगा सूरज लम्हा लम्हा करेगा एक जगह और सदियाँ बनाएगा सूरज मेरे आँसू न पी सका अब तक यूँ तो दरिया सिखाएगा सूरज बहते पानी में झाँक लेने दो ख़ुद-बख़ुद डगमगाए सूरज ज़ुल्फ़ लहरा के मत चलो दिन में रास्ता भूल जाएगा सूरज चल के नुदरत-'नवाज़' के घर तक जाने किस रोज़ आएगा सूरज