पैदा होते ही रोने लग जाते हैं ग़लती हो जाती है हम इंसानों से वीरानों को यकजा कर लेगी क़ुदरत दुनिया बन जाएगी इन वीरानों से सारे दाना नादानों के दम से हैं होने का पहलू भी है नादानो से सब तुझ से उम्मीद लगाए बैठे हैं झूट नहीं बोला करते मेहमानों से राम का नाम नहीं था वो मजबूरी थी रिश्ता क़ाएम करना था चट्टानों से कांधा देने वाले सारे मुर्दा लोग ज़िंदा हो कर लौटे हैं शमशानों से