पाक बातिन का क्या करे कोई By Ghazal << रात-दिन कश्मकश-ए-ज़ुल्फ़-... नहीं काम आती मोहब्बत किसी... >> पाक बातिन का क्या करे कोई दुश्मन अपना हुआ करे कोई जान से जो अज़ीज़ हैं उन से न जुदा हो ख़ुदा करे कोई ग़ैर के नेक-ओ-बद से क्या मतलब अपनी धुन में रहा करे कोई सैर-ए-बाग़-ए-जहाँ में ऐ 'सैफ़ी' चश्म-ए-इबरत को वा करे कोई Share on: