राब्ते टूट गए रंज से हम टूट गए जब तिरे प्यार के वो क़ौल-ओ-क़सम टूट गए बन गई दर्द ख़ुशी जाँ पे सितम टूट गए जिन की उम्मीद न थी दिल पे वो ग़म टूट गए जब मोहब्बत में उठा दौलत-ओ-ग़ुर्बत का सवाल लम्हा-ए-शौक़ पे सदियों के अलम टूट गए बर्क़ बन कर ही गिरा ऐसा करम था तेरा हम कि झुकते भी न थे तेरी क़सम टूट गए तोड़ने वाले मिरे दिल को तुझे क्या मालूम दिल नहीं टूटा मिरा दैर-ओ-हरम टूट गए बंदगी कैसी मिरी कैसी वफ़ा कैसा सिला मैं ने बरसों जो तराशे वो सनम टूट गए कौन समझेगा भला किस को बताऊँ 'सीमा' मेरी मासूम सी हस्ती पे जो ग़म टूट गए