पलकें झपक सकी न नज़र वक़्त थम गया देखा उधर ज़रा तो इधर वक़्त थम गया बीते दिनों की गर्द से हम को पता चला वर्ना कहाँ थी कोई ख़बर वक़्त थम गया जैसे बिछड़ के हम से वो जा बैठा मोड़ पे ऐसे दिखा के राहगुज़र वक़्त थम गया लम्हे तो सब रवाँ थे बराबर क़तार में ये सोचते हैं कैसे मगर वक़्त थम गया क्या बीच राह कोई सदी ने सदाएँ दीं क्यों ख़त्म कर के अपना सफ़र वक़्त थम गया मेरे सिवा न कोई था राहों में दूर तक फिर कौन कह गया कि ठहर वक़्त थम गया बैठे हैं इंतिज़ार में 'परवेज़' हम इधर माज़ी को ले के जाने किधर वक़्त थम गया