पानियों से रेत पर जो आ गया मेरी तरह ज़िंदगी की धूप में जलता रहा मेरी तरह उस के होंटों से भी अमृत की महक आने लगी ग़ालिबन ज़हर-ए-हलाहल पी लिया मेरी तरह आप को वो अपनी रहमत से नवाज़ेगा ज़रूर सिद्क़-ए-दिल से माँगिये भी तो दुआ मेरी तरह कोई पर्दे से निकल कर सामने आ जाएगा शर्त लेकिन ये है तुम भी देखना मेरी तरह साहिलों की क़ैद से आज़ाद हो सकता है तू अपने दरिया में कोई तूफ़ाँ उठा मेरी तरह कुफ़्र-ओ-बातिल की सफ़ों को चीर कर बाहर निकल नाम अपना हक़ परस्तों में लिखा मेरी तरह अंजुमन-दर-अंजुमन तफ़रीक़-ए-ख़ास-ओ-आम है है कोई जो राज़ कह दे बरमला मेरी तरह