पर जो तोलें तो पर न जाए कहीं सर उठाएँ तो सर न जाए कहीं मैं जो बिखरा तो ग़म नहीं लेकिन साथ तू भी बिखर न जाए कहीं दिल-ए-ज़िंदा से हम भी ज़िंदा थे दिल-ए-ज़िंदा ही मर न जाए कहीं वो जो इक शख़्स मुझ में मुख़्लिस है मुझ से पहले ही मर न जाए कहीं आदमी कामयाब हो कि न हो मौत से पहले मर न जाए कहीं चढ़ते दरिया को पूजने वालो चढ़ता दरिया उतर न जाए कहीं उड़ रहे हैं फ़ज़ाओं में ख़ंजर पर बचाऊँ तो सर न जाए कहीं