पर्बत राई-राई से ताक़त है यकताई से सहरा भी सैराब हुआ मेरी आबला-पाई से जान गए हम हाल तिरा पेट छुपे क्या दाई से डूब गए हम साहिल पर डरते थे गहराई से क्या ग़ैरों की बात करूँ भाई को रंजिश भाई से कितने दिलों में आग लगी मेरी शो'ला-नवाई से टूट गया मैं ऐ 'मेराज' जज़्बों की अंगड़ाई से