परतव-ए-साग़र-ए-सहबा क्या था रात इक हश्र सा बरपा क्या था क्यूँ जवानी की मुझे याद आई मैं ने इक ख़्वाब सा देखा क्या था हुस्न की आँख भी नमनाक हुई इश्क़ को आप ने समझा क्या था इश्क़ ने आँख झुका ली वर्ना हुस्न और हुस्न का पर्दा क्या था क्यूँ 'मजाज़' आप ने साग़र तोड़ा आज ये शहर में चर्चा क्या था