पत्थर हैं सभी लोग करें बात तो किस से इस शहर-ए-ख़मोशाँ में सदा दें तो किसे दें है कौन कि जो ख़ुद को ही जलता हुआ देखे सब हाथ हैं काग़ज़ के दिया दें तो किसे दें सब लोग सवाली हैं सभी जिस्म बरहना और पास है बस एक रिदा दें तो किसे दें जब हाथ ही कट जाएँ तो थामेगा भला कौन ये सोच रहे हैं कि असा दें तो किसे दें