प्यार का मेरे तू हिसाब तो दे मेरे मालिक मुझे जवाब तो दे ख़्वाब हो जाएँगे हक़ीक़त भी शिद्दत-ए-इश्क़ में शबाब तो दे नूर छलकेगा तेरी उल्फ़त का अपनी चाहत का आफ़्ताब तो दे है अँधेरा तिरे बिना मुझ में अपने चेहरे का माहताब तो दे लिख दे ख़ुशियों से ज़िंदगी सब की 'रेनू' को वो क़लम किताब तो दे