प्यार का है ख़िराज रहने दो दिल के ज़ख़्मों की लाज रहने दो मुँह न मोड़ो कभी मोहब्बत से अपने सर पर ये ताज रहने दो हम समझते हैं प्यार की नज़रें मत दिखाओ मिज़ाज रहने दो गुलशन-ए-ज़ीस्त पे चमन वालो प्यार-ओ-उलफ़त का राज रहने दो इश्क़ से हुस्न मत जुदा करना है हसीं इम्तिज़ाज रहने दो अहल-ए-हाजत के काम की ख़ातिर अपनी हर एहतियाज रहने दो आलम-ए-हुस्न है यहाँ 'अख़्तर' दिल का हर इम्तिज़ाज रहने दो