प्यार का हक़ अदा करे कोई न किसी से दग़ा करे कोई भाई को भाई से मोहब्बत हो और न बिछड़े ख़ुदा करे कोई अपना ही नफ़ा देखते हैं सब सब के हक़ में दुआ करे कोई उस के ग़म का इलाज कर देना तुम से जो इल्तिजा करे कोई अपने ग़म में है मुब्तला दुनिया आज किस का भला करे कोई भर गए ज़ह्न सब कसाफ़त से दिल को क्या आइना करे कोई ज़ख़्म भरते नहीं मिरे 'ज़ाकिर' तो मसीहा हुआ करे कोई