प्यासे होंटों को मिली ठंडी हवा से आँच दो जिस्मों की आँच से लगा पिघलने काँच अकस्मात होने लगी फूलों की बरसात जब सीमाएँ प्यार की टूटें आधी रात मर गई मारे लाज के पूछा तोड़ा मौन चूहों को बिल खोदना सिखलाता है कौन हाँ भई वो भी था समय भोले भाले लोग सुनते थे कि रात में चिड़िया चुगती चोग वो चंचल कल शाम को लिए हाथ में हाथ लोक लाज को त्याग कर नाची मेरे साथ