क़त्ल मेरा हुआ मकाँ से दूर मेहरबानों में मेहरबाँ से दूर मेरा अपना सफ़र है ला-महदूद मेरी अपनी पहुँच गुमाँ से दूर मेरे अपने वजूद का सहरा आग ही आग है धुआँ से दूर चीख़ते ज़ख़्म नोच कर मुझ को ले चलो और कुछ यहाँ से दूर बंद कमरों में है लतीफ़ मज़ा लज़्ज़तों की खुली दुकाँ से दूर ख़ुश्क मौसम 'सबा' को रास आए सब्ज़ पत्तों के आशियाँ से दूर