क़िस्मत ही से जीने का सामान मिलेगा राह-रवो अब आगे रेगिस्तान मिलेगा बाहर निकलो सब से रस्म-ओ-राह बढ़ाओ जितनी चोट लगेगी उतना ज्ञान मिलेगा मौत से ऐसे आँख-मिचोली खेल रहे हो जैसे तुम को फिर से जीवन-दान मिलेगा शक हो कोई तो देख लो तुम इक मौक़ा दे कर हर इंसान के अंदर एक हैवान मिलेगा लोगों की दस्तार उछाली ही जाएगी ओछे को जब मंसब आलीशान मिलेगा उम्मीदों की ऐनक पहने ढूँड रहा हूँ शहर में आख़िर कोई तो इंसान मिलेगा सच्चा शाइ'र और आसूदा-ख़ातिर 'अम्बर' जब देखोगे वो तुम को हैरान मिलेगा