रात जब टूट कर बिखर जाए जागने वाला फिर किधर जाए उम्र गुज़री है जैसे कानों से सरसराती हवा गुज़र जाए अपनी यादें भी साथ ले जा तू ये तिरा क़र्ज़ भी उतर जाए तेज़ चलने में गिर न जाए कहीं वक़्त से बोल दो ठहर जाए अब तो तू भी नहीं है धड़कन में दिल का क्या काम अब वो मर जाए