राज़-ए-जौर-ओ-जफ़ा नहीं मालूम दर्द-ए-दिल की दवा नहीं मालूम ऐ मसीहा तिरी इनायत से दर्द क्यों बढ़ गया नहीं मालूम हाए उस शोख़ी-ए-नज़र का इताब क्या ग़ज़ब ढाएगा नहीं मालूम मेरा अल्लाह पर भरोसा है करम-ए-नाख़ुदा नहीं मालूम इन की बेगानगी 'अज़ीम' आख़िर रंग लाएगी क्या नहीं मालूम