राब्ता इक हसीन टूटा है फूल ताज़ा-तरीन टूटा है दिल तो कॉमन सी चीज़ है यारो मुझ से इस का यक़ीन टूटा है इतने जुगनू कहाँ से आए हैं क्या सितारा महीन टूटा है अब के तो अश्क भी नहीं आए अब के दिल बेहतरीन टूटा है हँसती आँखों में टूटे सपने हैं है मकाँ पर मकीन टूटा है