रह-ए-हयात को आसाँ बना सको तो चलो हमारा साथ अगर तुम निभा सको तो चलो निगाह-ए-नाज़ का जादू जगा सको तो चलो क़दम क़दम पे नए गुल खिला सको तो चलो रह-ए-वफ़ा में ग़मों के बहुत अंधेरे हैं हर एक हाल में तुम मुस्कुरा सको तो चलो मिरे ख़याल की दुनिया है मुझ पे छाई हुई मिरे ख़याल की दुनिया पे छा सको तो चलो बड़े ख़ुलूस से चेहरे फ़रेब देते हैं निगाह बन के दिलों में समा सको तो चलो सजा के रात के माथे पे चाँद का झूमर मुझे अंधेरे में रस्ता दिखा सको तो चलो नई है राह तो 'क़ैसर' नई निगाह भी हो नई हयात के नग़्मे सुना सको तो चलो