रखना क़दम यहाँ तो ज़रा देख भाल के बाद-ए-उरूज आते हैं दिन भी ज़वाल के कीजे न आप हम से कभी तंज़िया सवाल वर्ना जवाब होंगे कई इक सवाल के मैं भी तो आदमी हूँ कोई जानवर नहीं क्यों देखते हो मुझ को तुम आँखें निकाल के कुछ तो ख़ता ज़रूर हुई आज आप से क्यूँके जबीं पे क़तरे हैं कुछ इंफ़िआल के रुक जाओ वर्ना देख लो पछताओगे सदा यूँ जाओगे जो आज मिरी बात टाल के ख़ुशियों के पीछे भागने वालो सुनो सुनो ख़ुशियाँ न मिल सकेंगी सिवाए मलाल के चर्चे किसी कमाल के होते हैं ख़ुद-बख़ुद क़िस्से बयाँ न कीजिए अपने कमाल के 'ख़ाकी' को बे-सबब न करो मुश्तइ'ल कभी अंजाम भी बुरे हैं बुरे इश्तिआ'ल के