रंग-ओ-निकहत की औक़ात क्या पूछते ग़ैर से आप की बात क्या पूछते शहर-ए-गिर्या में कोई शनासा न था बात रोने की बे-बात क्या पूछते तेरे नाम-ओ-नसब थे रक़म फूल पर ख़ुशबुओं से तिरी ज़ात क्या पूछते इस ज़बाँ को बिके एक मुद्दत हुई तुम बताओ सवालात क्या पूछते हाल अपना तो चेहरे से था सब अयाँ लोग 'उदय' तेरे हालात क्या पूछते