रंग से रंग मिलाता हुआ जाता हुआ तू कहकशाँ एक बनाता हुआ जाता हुआ तू दूर से तेरी तरफ़ भाग के आता हुआ मैं दूर से हाथ हिलाता हुआ जाता हुआ तू आगे आगे मैं ख़द-ओ-ख़ाल बनाता जाऊँ पीछे पीछे वो मिटाता हुआ जाता हुआ तू सोने वालों को नए ख़्वाब मुहय्या कर के सब्ज़ क़िंदील जलाता हुआ जाता हुआ तू पाँव पड़ता हुआ रोता हुआ गिरता हुआ मैं और मिरा हाथ छुड़ाता हुआ जाता हुआ तू मेरी ख़्वाहिश थी कि बर्बाद करूँ मैं ख़ुद को मेरी ख़्वाहिश का बताता हुआ जाता हुआ तू सख़्त मायूस पशेमान गुज़रता हुआ मैं मुस्कुराता हुआ गाता हुआ जाता हुआ तू जितनी आँखें हैं वो हैरान हुई जाती हैं और मिरे शे'र सुनाता हुआ जाता हुआ तू जैसे नाकाम कोई शख़्स हो वैसे 'साहिर' एक सिगरेट को जलाता हुआ जाता हुआ तू