रंज में भी शाद रहना चाहिए ये मक़ूला याद रहना चाहिए हिज्र में नाशाद रहना चाहिए ख़स्ता-ओ-बर्बाद रहना चाहिए सुन ही लेंगे वो कभी फ़रियाद-ए-ग़म बरसर-ए-फ़रियाद रहना चाहिए ख़ुद-बख़ुद हो जाएँगे वो मेहरबाँ तालिब-ए-बेदाद रहना चाहिए किस लिए फँसता है ऐ दिल ज़ुल्फ़ में क़ैद से आज़ाद रहना चाहिए ख़्वाह सर पर आसमाँ भी आ पड़े आदमी को शाद रहना चाहिए छूट कर हम ने क़फ़स से ये कहा कुछ सितम सय्याद रहना चाहिए छोड़ कर दिल आप जाते हैं कहाँ ये मकाँ आबाद रहना चाहिए वा'दा तो हम से किए जाते हो तुम शर्त ये है याद रहना चाहिए रहम आ ही जाएगा 'हाजिर' उन्हें इश्क़ में बर्बाद रहना चाहिए