रक़्साँ हैं उधर जल्वे जिधर देख रहे हैं ये तेरी मोहब्बत का असर देख रहे हैं फिर हश्र उठेगा नए उन्वान से शायद बदली हुई कुछ उन की नज़र देख रहे हैं इस दर्जा हमें इश्क़ ने मजबूर किया है आँखों से उजड़ता हुआ घर देख रहे हैं अब दस्त-ए-जुनूँ अपने गरेबाँ से हटे क्या हर वक़्त उन्हें पेश-ए-नज़र देख रहे हैं 'जौहर' ब-ख़ुदा आज वो माइल-ब-करम हैं क़िस्मत से तमन्ना का समर देख रहे हैं