रास्ता कोई देखता होगा कोई आगे निकल गया होगा रात पहलू में सो गई मेरे रात को चैन आ गया होगा मिरी आँखों में अश्क आने लगे क्या मुझे इश्क़ अब अता होगा जिस को माज़ी सुकून देता है किस तरह मुझ को भूलता होगा ख़ूबसूरत हैं इस लिए पत्थर कोई इन में ख़ुदा रहा होगा ज़िंदगी तल्ख़ तो नहीं लेकिन वाक़िआ' कोई हो गया होगा नाम भी मेरा उस को याद नहीं और कैसे कोई जुदा होगा देखो 'दिलशाद' ग़म नहीं करते कभी वो भी तो मुब्तला होगा