रास्ते में किसी मंज़िल पे भी आराम न लूँ वो मुसाफ़िर हूँ कि रुकने का कहीं नाम न लूँ मेरे हालात का मुद्दत से तक़ाज़ा ये है अपने सर ज़ुल्म से नफ़रत का मैं इल्ज़ाम न लूँ हब्स के गीत ही सुनता रहूँ इस जंगल में उम्र भर दस्त-ए-सबा से कोई पैग़ाम न लूँ बंद कर लूँ मैं ये आँखें कि सितम होता है अपनी आँखों से ज़माने में कोई काम न लूँ